भारत का इतिहास

भारत में मानवीय कार्यकलाप के जो प्राचीनतम चिह्न अब तक मिले हैं, वे 4,00,000 ई. पू. और 2,00,000 ई. पू. के बीच दूसरे और तीसरे हिम-युगों के संधिकाल के हैं और वे इस बात के साक्ष्य प्रस्तुत करते हैं कि उस समय पत्थर के उपकरण काम में लाए जाते थे। इसके पश्चात् एक लम्बे अरसे तक विकास मन्द गति से होता रहा, जिसमें अन्तिम समय में जाकर तीव्रता आई और उसकी परिणति 2300 ई. पू. के लगभग सिन्धु घाटी की आलीशान सभ्यता (अथवा नवीनतम नामकरण के अनुसार हड़प्पा संस्कृति) के रूप में हुई। हड़प्पा की पूर्ववर्ती संस्कृतियाँ हैं: बलूचिस्तानी पहाड़ियों के गाँवों की कुल्ली संस्कृति औरराजस्थान तथा पंजाब की नदियों के किनारे बसे कुछग्राम-समुदायों की संस्कृतिI
जैविक गुणसूत्रों के प्रमाणों के आधार पर भारत में मानव का सबसे पहला प्रमाण केरल से मिला है जो सत्तर हज़ार साल पुराना होने की संभावना है। जिसका आधार अफ़्रीक़ा के प्राचीन मानव से जैविक गुणसूत्रों (जीन्स) का मिलना है। यह काल वह है जब अफ़्रीक़ा से आदि मानव ने विश्व के अनेक हिस्सों में बसना प्रारम्भ किया जो पचास से सत्तर हज़ार साल पहले का माना जाता है। कृषि संबंधी प्रथम साक्ष्यराजस्थान (साम्भर) में पौधे बोने का है जो ईसा से सात हज़ार वर्ष पुराना है। भारत का इतिहास प्रागैतिहासिक काल से आरम्भ होता है। 3000 ई. पूर्व तथा 1500 ई. पूर्व के बीच सिंधु घाटी में एक उन्नत सभ्यता वर्तमान थी, जिसके अवशेष मोहन जोदड़ो (मुअन-जो-दाड़ो) और हड़प्पा में मिले हैं। विश्वास किया जाता है कि भारत में आर्यों का प्रवेश बाद में हुआ। वेदों में हमें उस काल की सभ्यता की एक झाँकी मिलती है।
कभी यह मान्यता थी, कि भारत के प्रथम राजा मनु स्वंयभू थे। मनु का जन्म सीधे ब्रह्मा से हुआ था और वह अर्ध-नारीश्वर थे। उनके नारीमय आधे शरीर से दो पुत्रों और तीन पुत्रियों का जन्म हुआ, जिनसे मनुओं की वंश-परम्परा चली। उनमें से एक का नाम पृथु था, जिनका पृथ्वी के प्रथम नरेश के रूप में अभिषेक हुआ। उन्हीं के नाम पर भूमि का नाम पृथ्वी पड़ा। उन्होंने वनों को साफ़ कराया, खेती कराई और पशुपालन, वाणिज्य तथा एक सुस्थापित जीवन से सम्बद्ध अन्य कार्यों का सूत्रपात किया। लेकिन दसवें मनु सबसे अधिक प्रसिद्ध हुए। उन्हीं के शासन काल में वह महाप्रलय हुई, जिसमें सब-कुछ डूब गया था और केवल मनु जीवित बचे थे। विष्णु ने मनु को इस बाढ़ के सम्बन्ध में पहले ही चेतावनी दे दी थी, इसलिए मनु ने अपने परिवार और सप्तऋषियों को बचा ले जाने के लिए एक नाव बना ली थी। विष्णु ने एक बड़ी मछली का रूप धारण किया, जिससे वह नौका बाँध दी गई। मछली जल-प्रवाह में तैरती हुई नौका को एक पर्वतशिखर तक ले गई। यहाँ पर मनु, उनका परिवार और सप्तऋषि प्रलय की समाप्ति तक रहे, और पानी कम होने पर सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर लौट आए। इस महाप्रलय से बचने वाले मनु और उनके परिवार से मनुष्य जाति की उत्पत्ति हुई। मनु के नौ पुत्र थे, जिनमें से सबसे बड़ा पुत्र अर्ध-नारीश्वर था। इसलिए उसके दो नाम थे-इल और इला। इस पुत्र से राजपरिवार की दो मुख्य शाखाओं का जन्म हुआ, इल से 'सूर्यवंश' और इला से 'चन्द्रवंश' का।
प्राचीन भारतीयों ने कोई तिथि क्रमानुसार इतिहास नहीं सुरक्षित रखा है। सबसे प्राचीन सुनिश्चित तिथि जो हमें ज्ञात है, 326 ई. पू. है, जब मक़दूनिया के राजासिकन्दर ने भारत पर आक्रमण किया। इस तिथि से पहले की घटनाओं का तारतम्य जोड़ कर तथा साहित्य में सुरक्षित ऐतिहासिक अनुश्रुतियों का उपयोग करके भारत का इतिहास सातवीं शताब्दी ई. पू. तक पहुँच जाता है। इस काल में भारत क़ाबुल की घाटी से लेकर गोदावरी तक षोडश जनपदों में विभाजित था।
मौर्य (तीसरी शताब्दी ई.पू.), शुंग (प्रथम शताब्दी ई.पू.), शक (प्रथम शताब्दी), कुषाण (द्वितीय शताब्दी), गुप्त (चौथी शताब्दी) और राजपूत (नौवीं शताब्दी) जब उत्तरी भारत में शासन कर रहे थे तब दक्षिण में सातवाहन, चालुक्य, चोल आदि का दौर चल रहा था। उसके बाद में मुस्लिम आक्रमण कारी आये और भारत में शासन करने लगे। जिनमें ग़ुलाम वंश, ख़िलजी,तुग़लक़, लोदी और मुग़लों का शासन रहा। सोलह-सत्रहवीं शती से 1947 ईसवी तक पुर्तग़ाली, फ़्राँसीसी और अंग्रेज़ यहाँ शासन करते रहे। 15 अगस्त, 1947 को भारत स्वतंत्र हुआ।